Prose लिखने के लिए कुछ ज़रूरी बातें

नस्र ज़बान की वो सिन्फ़ है, जो तक़रीर के फ़ितरी बहाव (एक तय-शुदा क़वाइद के ढाँचे की पैरवी करते हुए) का इज़हार करती है। नस्र शाइरी की तमाम अस्नाफ़ से जुदा वो सिन्फ़ है, जो शाइरी से वाबस्ता किसी भी तरह की क़वाएद जैसे- बह्र, आहंग, लय, रदीफ़, क़ाफ़िया वग़ैरा पर नहीं बल्कि ज़बान के मुश्तर्का ढाँचे पर मबनी होती है।