Archives : October 2021

Urdu Articles

बात करना या बात करनी – दिल्ली और लखनऊ वालों का मसअला

अस्ल में इस बखेड़े की वजह है दिल्ली और लखनऊ स्कूल का एक क़दीम इख़्तिलाफ़ मसदरी प्रतीक को लेकर। मसदरी प्रतीक कहते हैं वो अलामत जो फे़अल की अस्ल सूरत यानी मसदर पर लगती है। ‘खिलाना’ ‘पिलाना’ ‘खाना’ ‘देखना’ ‘भागना’ वग़ैरा ये मसदरी सूरतें हैं और उनके आख़िर में जो “ना” है वो अलामत-ए-मसदरी है।

साहिर, जो हर इक पल का शाइर है

साहिर की रेंज इतनी व्यापक है कि उनके लोकप्रिय गीतों की चमक में उनके बहुत से उल्लेखनीय गीत कहीं पीछे छूट गए हैं। साहिर मुखर होते थे मगर कभी लाउड नहीं होते थे। वे गहरी बात कह जाते मगर दुरूह बनकर नहीं, बड़ी सरलता से जाने दुनिया और मन की किन गहराइयों को बयान कर जाते थे। यहाँ पर हम उनके कुछ ऐसे ही गीतों की चर्चा करेंगे जिनके बारे में अक्सर बात नहीं होती है।

Majaz Blog

जब शराब पीते हुए एक मैख़ाने में उनकी मौत हो गई

मजाज़ की शाइरी किसी वाहिद मौजू के इर्द गिर्द चक्कर नहीं लगाती, बल्कि एक नौजवान की ज़िंदगी के बेश्तर पहलुओं पर बिखरी हुई है। मजाज़ की शाइरी में रूमान भी है, एक कश्मकश भी है, आह-ओ-ग़म भी है, कहीं उम्मीद है तो कहीं ना-उम्मीदी की इंतिहा नज़र आती है।

Rekhta Rauzan

रेख़्ता रौज़न देवनागरी लिपि में प्रकाशित होना क्यूँ ज़रूरी है?

उर्दू और हिन्दी को लेकर एक सवाल बार बार किया जाता है कि दोनों में क्या रिश्ता है और यहां तक कहा जाता है कि उर्दू मुसलमानों की ज़बान है तो सबसे पहले मैं स्पष्ट कर दूँ कि उर्दू किसी एक फ़िरक़े की ज़बान नहीं है। हमें मालूम होना चाहिए कि माहिर ए ग़ालिबयात मालिक राम रहे हैं, माहिर इक़बालियात पंडित जगन्नाथ आज़ाद रहे हैं, डॉ. गोपीचंद नारंग को पूरी अदबी दुनिया उर्दू के हवाले से जानती है। हम सभी को इल्म है कि यह दोनों ज़बानें एक दूसरे की पूरक कहलाती हैं, इस बारे में हमें यह भी मालूम होना चाहिए कि उर्दू हिन्द आर्याई ज़बान का ही नया रूप है।

Premchand

प्रेमचंद की कहानियों के किसानों से मिलिए, जो आज के किसानों से ही मिलते-जुलते हैं

किसानों के जीवन को मौज़ूअ बना कर लिखी गईं ये कहानीयाँ पढ़ कर जो एक ख़ास बात सामने आती है वो ये कि प्रेमचंद के समय के किसान और हमारे दौर के किसान एक ही से हालात का शिकार हैं। प्रेमचंद की ये कहानियाँ लम्बा समय गुज़र जाने के बाद भी हमारे आज के दौर के किसानों की कहानियाँ मालूम होती हैं।

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