Archives : April 2022

शायरी अक्सर हमारा काम आसान बना देती है

अगर उर्दू शायरी में हम मोहब्बत की बात करें तो ऐसा नहीं हो सकता कि हमारे ज़ेहन में ‛‛बशीर बद्र’’ साहब का नाम न आए। आज की इस रफ़्तार-भरी ज़िन्दगी में बशीर बद्र साहब के अशआर हमें ठहरना सिखाते हैं, हमारे अंदर मोहब्बत के जज़्बात पैदा करते हैं। उन्होंने लगभग हर उम्र के लोगों पर अपनी शायरी की ख़ुश्बू को बिखेरा है और मोहब्बत के नए रंगों से मिलवाया है।

Urdu Journalism

उर्दू सहाफ़त की दो सदियाँ

साल 2022 उर्दू सहाफ़त के हवाले से इंतिहाई अहम साल है। इस साल उर्दू ज़बान की सहाफ़त अपनी ‘उम्र के दो सौ साल मुकम्मल कर रही है। 27 मार्च 1822 को कलकत्ता से उर्दू का पहला अख़बार “जाम-ए-जहाँ-नुमा” जारी हुआ था। लिहाज़ा मार्च का महीना उर्दू सहाफ़त की दो सौ साला तक़रीबात का महीना है।

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उर्दू सहाफ़त की कहानी

यूँ तो उर्दू सहाफ़त के आग़ाज़ का सेहरा हफ़्तावार ‘जाम-ए-जहाँ-नुमा’ के सर बाँधा जाता है, जो पंडित हरिहर दत्त ने 1822 में कलकत्ता से शाए’ किया था, लेकिन उस से क़ब्ल उर्दू हल्क़ों में ये बहस भी छिड़ चुकी है कि उर्दू का पहला अख़बार शे’र-ए-मैसूर टीपू सुल्तान ने 1794 में जारी किया था।

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