ग़ज़ल और दक्कन
आमतौर पर कहा जाता है, कि ग़ज़ल की इब्तदा दिल्ली से हुई। हो सकता है, लेकिन ऐसा भी कहा जाता है, कि ग़ज़ल की शुरुआत दक्कन से हुई। 17 वीं सदी से पहले उर्दू शाइरी गुजरात, दिल्ली, दक्कन हर जगह हो रही थी लेकिन कहीं ग़ज़ल मौजूद नहीं थी। आम- तौर पर मसनवी लिखने का रिवाज था। मसनवी के बा’द ग़ज़ल की शुरुआत ख़ास- तौर पर दक्कन के शाइर ‘क़ुली क़ुतुब शाह’ ने की। क़ुली क़ुतुब शाह के अलावा ‘वली मोहम्मद वली’, ‘क़ाज़ी महमूद बेहरी’ और ‘फ़ज़लुर्रहमान’ भी अहम् नाम हैं जिन्होंने ग़ज़ल की भीगी ज़मीन को सर- सब्ज़ करने में ख़ास किरदार अदा किया।
By Dheerendra Singh Faiyaz
August 16, 2021