Articles By Mumtaz Iqbal

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वुजूद की ना-क़ाबिल-ए-बर्दाश्त लताफ़त, जिंसियत और मोहब्बत : मिलान कुंडेरा

वुजूद की ना-क़ाबिल-ए-बर्दाश्त लताफ़त कुंडेरा का बेहतरीन, अहम और कई नाविलियाती/ नाविलाती बहसों को पैदा करने वाला नॉवेल माना जाता है। उसके मुताबिक़ इस नॉवेल को जिन बुनियादों या जिन सुतूनों पर लिखा गया है उनमें बोझ, लताफ़त, रूह, जिस्म, ग्रैंड मार्च, किच या किश, गिर जाने की कैफ़ियत, क़ुव्वत और कमज़ोरी शामिल हैं। नॉवेल को पढ़ते हुए हम कई सतहों पर उसके फैलाव को देखते हैं और ये फैलाव वुजूद, जिंस, मोहब्बत, सियासत (प्रेग स्प्रिंग), फ़लसफ़ा, मौसीक़ी, किरदारों की सूरत-ए-हाल पर है और बक़ौल कुंडेरा “बेवफ़ाई, सरहद, मुक़द्दर, लताफ़त, ग़नाइयत; मुझे यूँ लगता है कि एक नॉवेल अक्सर कुछ गुरेज़ाँ इस्तिलाहों को पाने की तवील जुस्तजू के सिवा कुछ नहीं।

Dil ke Mausam by Azra Naqvi

दिल के मौसम: अज़रा नक़्वी की शायरी

अज़रा नक़वी उर्दू अदब में एक जानी-पहचानी आवाज़ का नाम है। वो एक शायरा होने के अलावा तर्जुमा निगार और कहानी कार भी हैं। उन्होंने जदीद अरबी अदब के फ़िक्शन और नॉन फ़िक्शन दोनों को उर्दू में तर्जुमा किया है। बहरकैफ़ वो ग़ज़ल और नज़्म दोनों असनाफ़ में मलका रखती हैं। उन्होंने बड़ी उम्दा और एक नई कैफ़ियत से भरी हुई नज़्मों को तख़लीक़ किया है।

Naya Nagar Novel

“नया नगर” से बाहर निकलते हुए…

“नया नगर” तसनीफ़ का पहला नॉवेल है। इस नॉवेल में तसनीफ़ ने उर्दू अदब के मुख़्तलिफ़ मसाइल को क़ारईन-ओ-नाक़िदीन के सामने पेश करने की कामयाब कोशिश की है। नॉवेल बेसिकली उर्दू कल्चर के ज़वाल का एक बयानिया है। बयानिया से मेरी मुराद एक कहानी को बयान करने से है ना कि नैरेटिव से। इस नॉवेल में जिन मौज़ूआ’त पे रौशनी डाली गई है उनमें ग़ज़ल, औरत, अदबी और मज़हबी तफ़रक़ा-बाज़ियों का ज़िक्र आता है। इसके अलावा गुजरात राइट्स, इश्क़-ए-ला-हासिल और मीरा रोड से नज़र आने वाली फ़िल्मी दुनिया का बयान भी किया गया है।

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