Articles By Shafaq Sopori

This poet is born in Sopore. He completed his BA from Sopore. Further, he completed his MA, M.Phil, including a Ph.D. from the Urdu department of Kashmeer University. After the study, he started his career as an assistant professor from a higher education department and retired as a professor. Besides a successful academic career, he established himself as a successful writer too. He did a remarkable job in the field of Poetry, literary criticism, short story writing, novel writing, and humor and satire writing. He is associated with print and other electronic media and has a good command of Indian classical music. So far, he has 20 books as an author on various topics. He is regular in conferences, seminars, and poetic symposiums. He was awarded by the academy of art, culture, and language UT of J&K for excellence in literature.

Sangeet

شاستریہ سنگیت کے اساطیری کردار

یہ امر بہت دلچسپ ہے کہ شاستریہ سنگیت پر اسطور کی ایک ایسی دھند چھائی ہوئی ہے جو اسے نہ صرف پراسرار بنادیتی ہے بلکہ اس میں داستانوی رنگ بھر کر اسے مزید جاذبِ توجہ بنادیتی ہے۔ چنانچہ راگ سے راگنی کا ملن اور اس ملن کے نتیجہ میں پتروں کا پیدا ہونا اور پھر ان پتروں کا ملن بھارجاؤں سے ہوکر دھنوں کا پیدا ہونا ایک ایسا عمل ہے جس سے ہندوستانی تہذیب میں انسانی معاشرے کا زندگی اور فن کے ہر شعبے میں اثر انداز ہونے کا پتہ چلتا ہے۔

Lafz

لفظ، وزن اور شعر

موسیقی میں فنکار اگر پیش کش کے دوران سُر سے کہیں ہٹ بھی جائے تو یہ سمجھا جاتا ہے کہ ریاض میں کمی بیشی رہ گئی ہے۔ اکثر اس نوع کی کمی بیشی سے صرفِ نظر بھی کیا جاتا ہے۔ لیکن اگر فنکاربے تالا ہوجائے تو اسے محض بے آہنگی سے تعبیر نہیں کیا جاتا بلکہ موسیقی کے ماہر اس بات سے یہ نتیجہ اخذ کرتے ہیں کہ فنکار فنِ موسیقی سے نابلد ہے۔ بالکل اسی طرح اگر کوئی شاعر پست سے پست ترین مضمون کو وزن میں پیش کرے تو موضونیت کا وصف اسے کم از کم کلامِ موزون کا درجہ عطا کرتا ہے۔

भारतीय संगीत की संकीर्ण रागिनियाँ

दुनिया में किसी भी क्षेत्र की संगीत प्रणाली व्यापकता और गहराई में भारतीय संगीत का मुक़ाबला नहीं कर सकती। यद्यपि प्राचीन काल से भारतीय संगीत प्रणाली में कुछ ऐसे तत्व शामिल हुए हैं जिनकी हैसियत मात्र पौराणिक है मगर उन तत्वों की वजह से भारतीय संगीत की एक ऐसी तस्वीर सामने आजाती है जिसमें अलग अलग रंग बोलते हुए दिखाई देते हैं।

Sangeet aur taal

ताल का परिचय

ताल संगीत की हर क़िस्म में या हर प्रकार के संगीत में एक महत्वपूर्ण तत्व का स्थान रखता है। इसलिए कि ये संगीतमय ध्वनियों के प्राप्ति विस्तार को क्रमबद्ध और अनवरत रखता है। शायरी में जो स्थान छंद को प्राप्त है वही हैसियत संगीत में ताल को प्राप्त है। हिंदुस्तानी संगीत में ताल की अवधारणा वेदों से ही चली आरही है। वेदों के हम्दिया नग़मे (ईश्वर का स्तुतिगान) वो श्रोत हैं जिनसे आजकल की ज़रबें हासिल की गई हैं।

Sangeet-Ki-Kala

संगीत की कला: गुण और दोष

संगीत मूल रूप से ध्वनि की कला है। संगीत में ध्वनि की अवधारणा बहुत पुरानी है। आवाज़ यंत्रों की ईजाद से बहुत पहले से मौजूद थी। और आवाज़ ही को नज़ीर बना कर संगीत के साज़ ईजाद हुए हैं। हिन्दोस्तान को राग-रागनियों का मुल्क कहा जाता है। संगीत हिन्दुस्तानी सभ्यता का एक मूल तत्व है। हिन्दुस्तानी संगीत को अपनी कुछ विशेषताओं के आधार पर हिन्दुस्तानी पहचान के तौर पर माना जाता है।

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