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रिश्तों की मजबूरियाँ और शायर का दर्द
आदमी के पैदा होते ही उसके साथ तमाम तरह के रिश्ते जुड़ जाते हैं | जब होश संभलता है तो पता लगता है कि आख़िर ये रिश्ते क्या हैं और इनकी हमारी ज़िन्दगी में अहमियत क्या है ! इसके बाद कुछ रिश्ते बेहद ज़रूरी लगने लगते हैं और कुछ एकदम बेमानी | फिर ज़िन्दगी के रास्ते पर आगे चलते हुए हम कुछ रिश्तों को अपने साथ लिए चलते हैं और कुछ से जान बचाने लगते हैं | कई बार आदमी अहम् रिश्ते को टूटते हुए बस देखता रह जाता है, उसे बचा नहीं पाता है तो कई रिश्ते ख़ुद तोड़ देता है |
किसी फ़नकार की तख्लीक़ में इन रिश्तों और इनके दर्द का बहुत गहरा असर रहता है, जो वह गाहे ब- गाहे अपनी तख्लीक़ में शामिल करता रहता है | उर्दू शायरों ने भी रिश्तों को बारीक़ी से पकड़ा और समझा है | कई ऐसे पुख्ता शेर हुए हैं, जिन्होंने रिश्तों में छिपे झूठ- सच को बेनक़ाब किया | एक बात तो ज़रूर है कि किसी भी रिश्ते की बुनियाद भरोसा और यक़ीन होता है | इन दोनों के बग़ैर कोई भी रिश्ता हमारे लिए एक क़ैद बन कर रह जाता है | तो आज हम ये देखेंगे कि बाज शायरों ने अपनी शायरी के ज़रिये रिश्ते को किस तरह से समझा और परखा है |
शायर मुस्तफ़ा ज़ैदी ने दिल के रिश्ते को कितना नाज़ुक बताया है कि वह साँस लेने भर से टूट जाता है, जिसके साथ भी कोई रिश्ता है, दम साधे उसे निभाते चले जाना होता है, शेर देखिए
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शायर अतहर नादिर कहते हैं कि आदमी को अपने किए का फल ख़ुद भोगना होता है | उसे बाँटने के लिए कोई रिश्ता-रिश्तेदार सामने नहीं आते हैं | वो कहते हैं,
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कई रिश्ते ऐसे होते हैं जो किसी काम के नहीं बस रखे-रखाए चलते रहते हैं और पुराने होते जाते हैं | शायर साबिर साहब के मुआमले में कुछ ऐसा है कि उन्हें किसी रिश्ते ने मसर्रत नहीं बख्शी और वो कह बैठते हैं,
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ये शेर देखिए,
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शायर कहते हैं कि अगर मुहब्बत का एक भी रिश्ता टूटता है तो देखते-देखते ज़िन्दगी की पूरी तरतीब बिखरने लगती है | रहीम ने भी एक ऐसी बात कही थी,
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कोई भी दोस्त, रिश्तेदार तभी काम आ सकते हैं, जब हम ख़ुद अपने काम आ सकें | जिस वक़्त हम खुद अपने साथ नहीं होते, उस वक़्त तो कोई रिश्ता- कोई नाता काम नहीं आ सकता | हनीफ़ तरीन ने भी अपने शेर में यही बात कही,
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एक शेर, शायर आलोक मिश्रा का देखिए | ज़िन्दगी और महबूब के आरी ये शायर कहता है,
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इसी तरह शायर इक़बाल हैदर फ़रमाते हैं कि उनकी कैफ़ियत ए दिल ओ जाँ वही की वही रही | उसमें कभी तब्दीली नहीं आई, सो कोई रिश्ता भी नहीं बना न बिगड़ा |
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तो इसी तरह आप भी अपने रिश्तों की गहराई में जाइए और दर्द के मोती चुन लाइए |
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