उर्दू जिसे कहते हैं

ज़बानें अपना कल्चर रखती हैं और वही ज़बान बड़ी तसव्वुर की जाती है जिस में ख़याल और इज़हार के लिए अल्फ़ाज़ की तंगी न हो, यूँ तो सारी ज़बानों के अपने लफ़्ज़ और अपना शब्द-कोश होता है। और दुनिया के मुखतलिफ़ हिस्सों में बस्ने वाले लोग अपनी ज़बान पर फ़ख्र भी करते हैं, इसी तरह… continue reading