Tag : Dagh Dehlvi

Mysticism and Sufism in Urdu Poetry

Mysticism and Sufism in Urdu Poetry: Finding Divinity in Verses

Urdu poetry is a realm where words transcend their literal meanings, weaving a tapestry of emotions, spirituality, and profound insights. At its heart lies a deep connection to mysticism and Sufism, two interwoven threads that have illuminated the path of countless poets, leading them on a journey to find divinity within verses.

Teacher's Day Blog

شاعری کے استاد

قدیم زمانہ میں کسی استاد کی شاگردی اختیار کئے بغیر شعر کہنا معیوب سمجھا جاتا تھا۔ مبتدی شعراء بڑی منت سماجت کر کے کسی مستند شاعر کی شاگردی کا شرف حاصل کرتے۔ زبان و فن کی باریکیاں سیکھنے کی کوشش کرتے تھے۔ استاد کو دکھائے بغیر ایک شعر بھی کسی محفل میں پڑھنے کی جرأت نہیں کرتے تھے۔

Ghazal

ग़ज़ल में मिसरे का टकरा जाना

आपने सबने ये जुमला ख़ूब सुना होगा कि फ़लाँ ग़ज़ल फ़लाँ ग़ज़ल की ज़मीन पर है। ग़ज़ल की ज़मीन से मुराद ग़ज़ल का ढाँचा है या’नी ग़ज़ल की बह’र, क़ाफ़िया और रदीफ़। मतलब ग़ज़ल की ज़मीन क्या है, ये उसके मतले से तय हो जाता है।

Daagh Dehlvi

शायरी से सम्बंधित ये ज़रूरी बातें सब को जानना चाहिए

मिर्ज़ा दाग़ देहलवी कहते हैं कि आगे मैं आपको जो भी बताने-समझाने जा रहा हूँ उन तमाम बातों को ग़ौर से सुन लें क्यों कि इन सब बातों को जाने-समझे बग़ैर आप अच्छे शे’र नहीं कह पाएँगे। आपका बयान और ज़बान यूँही सी रहेगी उसमें कोई ख़ूब-सूरती, नया-पन और तख़्लीक़ी सलाहियत पैदा नहीं हो सकेगी।

Dagh Dehlvi

दिन में ग़ज़ल कहते और रात तक तवायफ़ों / क़व्वालों के ज़रिये मशहूर हो जाती

नवाब मिर्ज़ा ख़ान दाग़ की पैदाइश 25 मई 1831 को दिल्ली के लाल चौक में हुई, उनके वालिद शहीद शमसुद्दीन अहमद पंजाब में एक छोटी सी रियासत फ़िरोज़पुर झिरका के वली थे। इनकी वालिदा वज़ीर ख़ानम उर्फ़ छोटी बेगम थीं। दाग़ जब मात्र चार वर्ष के थे तभी इनके वालिद को एक अंग्रेज़ी सिविल सर्वेंट अधिकारी विलियम फ़्रेज़र के क़त्ल के जुर्म में 8 अक्टूबर 1835 को फाॅंसी दे दी गई ,उसके बाद इनकी वालिदा का रो रो कर बुरा हाल हो गया था और वो अंग्रेज़ों के भय से कई दिनों तक छुपकर रहीं।

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