फ़हमीदा रियाज़: जिनके शब्द ‘सभ्य समाज’ को तीर की तरह चुभते थे
फ़हमीदा रियाज़ का शुमार उर्दू की उन गिनी-चुनी महिला कवियों में किया जाता है जो ज़िंदगी-भर अपनी शायरी को हथियार बना कर समाज की दक़यानूसी सोच और औरत के बारे में उसके ज़ालिमाना रवैय्ये के ख़िलाफ़ लड़ती रहीं। 1967 में अपने पहले काव्य संग्रह ‘पत्थर की ज़बान’ की इशाअत से लेकर 2018 में हुए अपने… continue reading
By Hussain Ayaz
July 27, 2020