जब कोलकता में ग़ालिब के एक फ़ारसी शेर पर विवाद खड़ा हो गया
एक तो ग़ालिब के जिस्म में दौड़ता ईरानी लहू और दिमाग में ईरानी उस्ताद की नसीहतें और तजर्बे, इन दोनों के मेल ने ग़ालिब को फ़ारसी का ज़बरदस्त और ज़हीन शायर बना दिया। सिर्फ़ शायर ही नहीं बल्कि उनके खाने पीने, उठने बैठनें, बात करने, कपड़े पहनने और सोचने समझने का अंदाज तक ख़ालिस ईरानी हो गया।
By Dayashankar Shukl Sagar
February 15, 2022