उर्दू शब्दों पर नुक़ता क्यों ज़रूरी है

जिन दिनों हिन्दी-उर्दू विवाद ज़ोरों पर था और अदालतों की भाषा उर्दू हो गई, अख़बारात भी उर्दू में ही शाए’ होते तो एक बड़ी ता’दाद में लोग जिन्हें उर्दू की रस्म-उल-ख़त सीखने में दिक़्क़त हो रही थी, उनके लिए राजा शिवप्रसाद सितारे ‘हिन्द’ ने कोशिश की कि ज़बान उर्दू ही रहे और वो नागरी लिपि में लिखी जाए। उन्होंने कहा फ़ारसी की सभी ध्वनियाँ देवनागरी में व्यक्त होनी चाहिए। जब उन्हें पता चला कि फ़ारसी की पाँच ध्वनियाँ (क़, ख़, ग़, ज़, फ़) नागरी में नहीं हैं तो उन्होंने अक्षर के नीचे नुक़्ता लगाने का सुझाव दिया।