जन्नत में शायरों की एक महफ़िल

मैंने सुना है मेरे बाद कोई लफ़्ज़ों का ऐसा साहिर पैदा हुआ है , जिसे इश्क़ ने निकम्मा कर रखा था और ज़माने ने पागल क़रार दे रखा था, कोई ग़ालिब गुज़रा था , क्या था वो शख़्स? उस के बारे में मैं पहले ही कह दिया था कि उस्ताद मिला तो ठीक वर्ना मोहमल बकेगा।