‘गमन’ फ़िल्म की ग़ज़ल: यादें और उम्र जितनी लंबी रातें
मख़दूम मुहिउद्दीन के बारे में ख्वाज़ा अहमद अब्बास ने कहा था, “मख़दूम एक धधकती ज्वाला थे और ओस की ठंडी बूंदे भी। वे क्रांतिकारी छापामार की बंदूक थे और संगीतकार का सितार भी। वे बारूद की गंध थे और चमेली की महक भी।” जब वे लिखते हैं ‘याद के चाँद दिल में उतरते रहे…’ तो मुंबई की स्याह रात में सड़कों पर जलती स्ट्रीट लाइट और प्रतीक्षा की थकन लिए स्मिता एक कंट्रास्ट रचते हैं।
By Dinesh Shrinet
February 4, 2021