वो फ़साना बन गई है…
कमाल अमरोही का ज़िक्र एक रूमानी और परफेक्शनिस्ट निर्देशक के रूप में होता है। बतौर लेखक उन्होंने ‘पुकार’, ‘मुग़ल-ए-आज़म’ और ‘पाकीज़ा’ जैसी फिल्मों के लिए उर्दू में यादगार संवाद लिखे। ये संवाद हिन्दी सिनेमा में उस दौर के चलन से बिल्कुल अलग थे, जिसमें पारसी थिएटर का गहरा प्रभाव था। अमरोही ने उस प्रभाव से मुक्त होकर सिनेमा के संवादों को शायरी की ऊंचाइयां दीं।
By Dinesh Shrinet
March 14, 2022