अच्छी शायरी क्या होती है (2)
शायरी बिल-ख़ुसूस ग़ज़ल की शायरी इशारों कनायों और तशबीह का फ़न है इसका अहम ज़ेवर इस्तिआरे हैं। इस्तिआरे का मानी उधार लेना है, यानी हम किसी लफ़्ज़ का मफ़हूम किसी दूसरे लफ़्ज़ से लेते हैं, तो वो इस्तिआरा कहलाता है, जैसे ‘सफ़र’ ज़िन्दगी का इस्तिआरा है, ‘दरिया’ वक़्त का इस्तिआरा है क्योंकि वक़्त की तरह आगे बढ़ता रहता है।