हम अपनी कल्पना के सहारे वो सब देखते हैं जो खुली आँखों से नहीं देख सकते
यक़ीन और गुमान दोनों में एक बात मुश्तरक है कि दोनों हमारे ज़ेहन में एक तस्वीर बनाते हैं, और फ़र्क़ ये है कि यक़ीन एक ही तस्वीर बनाता है मगर गुमान की कोई हद नहीं। गुमान की तस्वीरों में यक़ीन की तस्वीर भी हो सकती है मगर यक़ीन की तस्वीर बनती है तो गुमनाम की सारी तस्वीरें मिट जाती हैं।
By Ajmal Siddiqi
March 18, 2021