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Kamal Amrohi

वो फ़साना बन गई है…

कमाल अमरोही का ज़िक्र एक रूमानी और परफेक्शनिस्ट निर्देशक के रूप में होता है। बतौर लेखक उन्होंने ‘पुकार’, ‘मुग़ल-ए-आज़म’ और ‘पाकीज़ा’ जैसी फिल्मों के लिए उर्दू में यादगार संवाद लिखे। ये संवाद हिन्दी सिनेमा में उस दौर के चलन से बिल्कुल अलग थे, जिसमें पारसी थिएटर का गहरा प्रभाव था। अमरोही ने उस प्रभाव से मुक्त होकर सिनेमा के संवादों को शायरी की ऊंचाइयां दीं।

Meena Kumari Blog

मीना कुमारी का जौन एलिया से भी एक रिश्ता था

1 अगस्त 1933 को बॉम्बे में पैदा हुई महजबीन बानो ने महजबीन बानो से मीना कुमारी होने तक ‘साहब बीवी और ग़ुलाम’, ‘मेरे अपने’, ‘पाकीज़ा’, ‘दिल एक मन्दिर’, ‘फ़ुट पाथ’, ‘परिणीता’, ‘बैजू बावरा’, ‘काजल’ और ‘दिल अपना और प्रीत पराई’ जैसी फ़िल्मों में बे- मिसाल अदाकारी करते हुए तमाम दुनिया में धड़कने वाले दिलों की जुम्बिश हो जाने का सवाब हासिल किया।

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