क्या रहा है मुशायरे में अब
शायरी और अदब के चाहने वाले कभी भी एक ही शायर या अदीब को लेकर नहीं बैठते, ये तो मुमकिन है कि कोई एक अदीब उन्हें ज़ियादा पसंद हो, मगर ऐसा नहीं होता कि वो किसी और को न पढ़ें, मीर के आशिक़ ग़ालिब के भी दीवाने हो सकते हैं, जौन को चाहने वाले फ़ैज़ की नज़्में भी गुनगुनाते हुए मिल जाते हैं।
By Priyamvada Singh
February 3, 2021