उल्टी वा की धार
यूँ तो बहुत सी बातें हैं जो किसी शे’र को एक बेहतरीन शे’र बनाती हैं और उन पर दुनिया भर की बातें हुईं हैं मगर एक चीज़ जिस पर बात बहुत कम होती है वो है, “उल्टा इस्तेमाल” या मुख़ालिफ़ मअनी को साथ ला कर नए मअनी पैदा करना।
यूँ तो बहुत सी बातें हैं जो किसी शे’र को एक बेहतरीन शे’र बनाती हैं और उन पर दुनिया भर की बातें हुईं हैं मगर एक चीज़ जिस पर बात बहुत कम होती है वो है, “उल्टा इस्तेमाल” या मुख़ालिफ़ मअनी को साथ ला कर नए मअनी पैदा करना।
उर्दू शायरी में इश्क़ के बारे में ये और ऐसे कई शे’र मशहूर हैं मगर ऐसा नहीं है कि इश्क़ और आशिक़ की बरबादी के क़िस्से सिर्फ़ उर्दू शायरी तक महदूद रह गए हैं। हिंदुस्तान की और ज़बानों और इलाक़ों में भी देखा जाए तो पंजाब की तरफ़ हीर-राँझा, सोहनी-महीवाल, मिर्ज़ा-साहिबा और सस्सी-पुन्नू के क़िस्से हमें ख़ूब मिलते हैं जिन का असर बॉलीवुड में भी बहुत है।
हिन्दुस्तानी तहज़ीब से वाक़िफ़ हर शख़्स ये बात जानता है कि कोई भी फ़न सीखने के लिए, इल्म हासिल करने के लिए पहले उसके लायक़ बनना ज़रूरी है, ये वो ज़मीन है जहाँ गुरुओं, उस्तादों, शिक्षकों का सम्मान करना शिक्षित होने की पहली सीढ़ी माना जाता है, ऐसे में उस्तादों का एहतराम करने की रवायत बन जाती है जो कई शेरों में झलकती है।
शायरी में अलग अलग थीम्स और उनसे जुड़े किरदार होते हैं जैसे इश्क़ की थीम है तो उसमें आशिक़ होगा, महबूब होगा, रक़ीब होगा, और कभी कभी उपदेश देने वाले का इज़ाफ़ा हो जाता है। इसी तरह लहरें और समंदर का ज़िक्र है तो नाख़ुदा होगा, हर ख़ास थीम के साथ उसके उतने ही ख़ास इस्तियारे या किरदार हैं।
मोहिनी मीर तक़ी मीर की कई बिल्लियों में से एक बिल्ली थी जो उन्हें बेहद अज़ीज़ थी। मीर का ये रंग शायद लोगों को ज़रा अटपटा लगे, क्योंकि मीर को एक बड़े ही दर्द भरे शायर के तौर पर मशहूर किया गया है, इसकी वुजूहात भी हैं कि मीर की ज़िंदगी और उस वक़्त का माहौल मुश्किलों से भरा था लेकिन एक शाइर ज़िन्दगी को कैसे देखेगा ये उस पर है, वो चाहे तो अमावस की रात में भी तारों के झुरमुट से दिल को रौशन कर ले या चाँद के न होने से दिल में अंधेरा कर ले।
Enter your email address to follow this blog and receive notification of new posts.