Articles By Priyamvada Singh

प्रियंवदा सिंह 1991 में दिल्ली में पैदा हुईं और बायोटेक्नोलॉजी में मास्टर्स किया और फिर उसके बाद अंग्रेज़ी अदब में मास्टर्स की डिग्री हासिल की और इस वक़्त आकाशवाणी बीकानेर में कम्पीयर, फ़्री लांस एंकर, ट्यूटर, और कंटेंट राइटर हैं। प्रियंवदा सिंह मौजूदा शायरी की वो आवाज़ हैं जो ऐवान ए शेर-ओ-अदब में बड़ी तुन्दी और शिद्दत से गूँज रही है। आपकी शायरी में रिवायत और जिद्दत का हसीन इम्तेज़ाज देखने को मिलता है। आप शायरी में वुस्अत ए ख़याल के साथ-साथ लफ़्ज़ की साख़्त और तरक़ीब साज़ी का खास ख़याल रखती है जिससे कि शेर की मानवी फ़िज़ा और लफ़्ज़ी फ़िज़ा दोनों क़ायम रहती है और यही फ़िज़ा क़ारियान ए शेर-ओ-सुख़न को अपना गिर्विदा बना लेती है।

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ये जो मोहब्बत है: वैलेंटाइन डे स्पेशल

उर्दू शायरी में इश्क़ के बारे में ये और ऐसे कई शे’र मशहूर हैं मगर ऐसा नहीं है कि इश्क़ और आशिक़ की बरबादी के क़िस्से सिर्फ़ उर्दू शायरी तक महदूद रह गए हैं। हिंदुस्तान की और ज़बानों और इलाक़ों में भी देखा जाए तो पंजाब की तरफ़ हीर-राँझा, सोहनी-महीवाल, मिर्ज़ा-साहिबा और सस्सी-पुन्नू के क़िस्से हमें ख़ूब मिलते हैं जिन का असर बॉलीवुड में भी बहुत है।

Hazrat-e-Ishq, हज़रत-ए-इश्क़

हज़रत-ए-इश्क़, जो उस्तादों के उस्ताद हैं

हिन्दुस्तानी तहज़ीब से वाक़िफ़ हर शख़्स ये बात जानता है कि कोई भी फ़न सीखने के लिए, इल्म हासिल करने के लिए पहले उसके लायक़ बनना ज़रूरी है, ये वो ज़मीन है जहाँ गुरुओं, उस्तादों, शिक्षकों का सम्मान करना शिक्षित होने की पहली सीढ़ी माना जाता है, ऐसे में उस्तादों का एहतराम करने की रवायत बन जाती है जो कई शेरों में झलकती है।

शायरी के इन किरदारों के बारे में अगर आप नहीं जानते तो ज़रूर जानना चाहिए

शायरी में अलग अलग थीम्स और उनसे जुड़े किरदार होते हैं जैसे इश्क़ की थीम है तो उसमें आशिक़ होगा, महबूब होगा, रक़ीब होगा, और कभी कभी उपदेश देने वाले का इज़ाफ़ा हो जाता है। इसी तरह लहरें और समंदर का ज़िक्र है तो नाख़ुदा होगा, हर ख़ास थीम के साथ उसके उतने ही ख़ास इस्तियारे या किरदार हैं।

आइये देखते हैं मुख़्तलिफ़ सभ्यताओं में बिल्ली का क्या किरदार था – 2

मोहिनी मीर तक़ी मीर की कई बिल्लियों में से एक बिल्ली थी जो उन्हें बेहद अज़ीज़ थी। मीर का ये रंग शायद लोगों को ज़रा अटपटा लगे, क्योंकि मीर को एक बड़े ही दर्द भरे शायर के तौर पर मशहूर किया गया है, इसकी वुजूहात भी हैं कि मीर की ज़िंदगी और उस वक़्त का माहौल मुश्किलों से भरा था लेकिन एक शाइर ज़िन्दगी को कैसे देखेगा ये उस पर है, वो चाहे तो अमावस की रात में भी तारों के झुरमुट से दिल को रौशन कर ले या चाँद के न होने से दिल में अंधेरा कर ले।

Yogesh Praveen

शान ए लखनऊ, जान ए लखनऊ

योगेश प्रवीन के इल्म से मुतास्सिर हो कर उन से सिर्फ़ अवाम ही नहीं बॉलीवुड के लोग भी सलाह लेने आया करते थे, बीच सत्तर के दशक में शशि कपूर और श्याम बेनेगल अपनी फ़िल्म जुनून के लिए योगेश जी से मशविरा करने आये थे। ये उस वक़्त की बात है जब शशि कपूर सुपर स्टार हुआ करते थे और श्याम बेनेगल बेहतरीन डायरेक्टर के रूप में जाने जाते थे।

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