ज़िंदगी की तल्ख़ सच्चाइयों का शाइर: पं. विद्या रतन आसी
आसी ने ज़िंदगी की महरूमियों को क़बूल ज़रूर किया लेकिन कभी हालात के आगे झुके नहीं. कभी ख़ुदकुशी करने की नहीं सोची. मुस्तक़िल उदासियों की सौगात ने आसी को हस्सास से हस्सासतर बनाया और वे राह में आने वाले हर अजनबी से पूरे ख़ुलूस और मुहब्बत से मिले और यही वजह है कि उनसे मिलने वाला हर अजनबी उनका अपना बन गया.
By Rahul Jha
July 11, 2023