लफ़्ज़ों पर निगरानी रक्खो
हमारी आम ज़बान में ख़ासतौर से दो लफ़्ज़ ‘ग़लती’ और ‘हरकत’ बहुत मक़बूल और राइज हैं पर शाएरी के हवाले से देखें तो इनका इस्तेमाल हम ग़लत तरीक़े से कर सकते हैं क्यों कि हम इन दोनों ही अल्फ़ाज़ के अस्ल तलफ़्फ़ुज़ से वाक़िफ़ नहीं हैं।
हमारी आम ज़बान में ख़ासतौर से दो लफ़्ज़ ‘ग़लती’ और ‘हरकत’ बहुत मक़बूल और राइज हैं पर शाएरी के हवाले से देखें तो इनका इस्तेमाल हम ग़लत तरीक़े से कर सकते हैं क्यों कि हम इन दोनों ही अल्फ़ाज़ के अस्ल तलफ़्फ़ुज़ से वाक़िफ़ नहीं हैं।
बानी का 1932 में मुल्तान जिले में हुआ था और हिन्दुस्तान की आज़ादी के बाद 1947 में दिल्ली चले आए। उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखी और अर्थशास्त्र में मास्टर्स की डिग्री हासिल की। बानी की ग़ज़लों से गुज़रते हुए आप उनकी मन्ज़र पैदा करने के हुनर के बारे में जानेंगे और आपको यक़ीन हो जाएगा कि वह एक शानदार मुसव्विरी की सलाहियत रखने वाले शायर थे।
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