Tag : Shamsur Rahman Faruqi
अब मुहल्ले का नाम बिल्लीमारों क्यों था? हालाँकि इस बात का कोई सुबूत नहीं मिलता लेकिन इस हवाले से एक बात ये कही जाती है कि एक ज़माने में यहाँ साहँसी या साँसी लोग रहते थे जो कुत्ते-बिल्लियों का गोश्त खाया करते थे। इसलिए इस मुहल्ले को ‘बिल्लीमारों’ का मुहल्ला कहा जाता है।
By Akash Arsh
July 9, 2022
موسیقی میں فنکار اگر پیش کش کے دوران سُر سے کہیں ہٹ بھی جائے تو یہ سمجھا جاتا ہے کہ ریاض میں کمی بیشی رہ گئی ہے۔ اکثر اس نوع کی کمی بیشی سے صرفِ نظر بھی کیا جاتا ہے۔ لیکن اگر فنکاربے تالا ہوجائے تو اسے محض بے آہنگی سے تعبیر نہیں کیا جاتا بلکہ موسیقی کے ماہر اس بات سے یہ نتیجہ اخذ کرتے ہیں کہ فنکار فنِ موسیقی سے نابلد ہے۔ بالکل اسی طرح اگر کوئی شاعر پست سے پست ترین مضمون کو وزن میں پیش کرے تو موضونیت کا وصف اسے کم از کم کلامِ موزون کا درجہ عطا کرتا ہے۔
By Shafaq Sopori
August 26, 2021
शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी वो शख़्स थे जिनके मज़ाक़ में भी इल्म निहाँ होता था। ये मुबालग़ा नहीं होगा अगर ये कहा जाए कि फ़ारूक़ी साहब को सिर्फ़ 10 घंटे सुन कर आप उर्दू अदब के ग्रेडुएट हो सकते हैं।
फ़ारूक़ी साहब की ज़िन्दगी एक मज़मून में नहीं समा सकती, उनका काम भी एक मज़मून में नहीं समा सकता। उन्होंने तनक़ीद लिखी और हर बार अपनी तनक़ीद से लोगों को चौंकाया। कुछ लोगों का मानना है कि वो तस्दीक़ के नहीं बल्कि तरदीद के नक़्क़ाद थे।
By Tasneef Haider
December 26, 2020