तीन उर्दू शायर और उनकी पंजाबी ग़ज़लें
ग़ज़ल हिन्दोस्तान की दीगर ज़बानों में कही जा रही है, लेकिन पंजाबी ग़ज़ल उर्दू ग़ज़ल के क़रीब-तरीन है। ये क़ुरबत इस दर्जा है कि पंजाबी के मुमताज़ शायरों के फ़ेहरिस्त में जो लोग हैं, उन नामों से उर्दू के क़ारी भी ना-शनास नहीं। हबीब जालिब, ज़फ़र इक़बाल, मुनीर नियाज़ी जैसे मोतबर शायर इसकी चंद मिसालें हैं।