Articles By Zia Zameer

ज़िया ज़मीर वर्ष 1977 में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में पैदा हुए। शिक्षा मुरादाबाद में हुई, यहीं टैक्सेशन के लॉयर हैं। इनके वालिद मशहूर शायर ज़मीर दरवेश हैं। ज़िया ज़मीर ने वर्ष 2001 से शायरी शुरू की और इनकी शायरी के दो मजमुए शाया हो चुके हैं। जिन पर बिहार उर्दू एकेडमी, उत्तर प्रदेश उर्दू एकेडमी और हम्दो-नात फाउंडेशन ने इनाम दिए हैं। तीसरा मजमुआ शाया होने वाला है। ज़िया ज़मीर ग़ज़ल, नज़्म, नात, कहानी, समीक्षात्मक और आलोनात्मक निबंध लिखते हैं।

Jigar Moradabadi

मेरा पैग़ाम मुहब्बत है…

जिगर साहिब रिवायती ग़ज़ल के आख़िरी बड़े शायर हैं। लेकिन उनकी शायरी के आख़िरी दौर में कहीं-कहीं आधुनिकता के हल्के-हल्के रंग भी नज़र आने लगे थे। अगर जिगर साहिब को दस बरस की ज़िन्दगी और शायरी अता हो जाती तो मुमकिन है कि जिगर साहब जदीद शायरी की बुनियाद रखने वाले शायरों में भी गिने जाते।

Dushyant Kumar Blog

दुष्यंत कुमार : हाथों में अंगारे लिए एक शायर

दुष्यंत को सिर्फ सियासत को आइना दिखाने वाला शायर ही समझ लेना इस शायर और इसकी शायरी की अनदेखी करना है, जो कि हम लोग वर्षों से करते आ रहे हैं। दुष्यंत अपने हाथों में अंगारे लिए नज़र आता है मगर दूसरी तरफ उसके सीने में वह महके हुए फूल भी हैं जो जवां दिलों को महकाते हैं और प्रेम की एक अनदेखी और अनजानी फिज़ा कायम करते हैं।

“हिंदुस्तान की हर ज़बान को एक गोपीचंद नारंग चाहिए।” कमलेश्वर

प्रोफेसर गोपीचंद नारंग साहब का जाना किसी बड़ी शख़्सियत के जाने से ज़्यादा बड़ा सानिहा इसलिए है कि गोपीचंद नारंग सिर्फ़ बड़ी शख्सियत नहीं थे बल्कि वो जिस तहज़ीब के अलम-बरदार थे वो उनके साथ चली गई है। वो तहज़ीब बहुत तेज़ी से ख़त्म होती जा रही है। वो तहज़ीब सिर्फ उर्दू ज़बान की तहज़ीब नहीं है बल्कि हिंदुस्तान की हर ज़बान की तहज़ीब है।

Blog on War

जंग तो ख़ुद ही एक मसअला है

आलमे-इंसानियत की कोई भी जंग उठाकर देख लीजिए और उसके असबाब तलाशिए तो आख़िर में वाहिद सबब ताक़त का जुनून ही नज़र आएगा और इसमें अगर अना की दीवानगी भी शामिल कर ली जाए तो मुआमला और ख़तरनाक हो जाता है।

Jagjit Singh Blog

जगजीत सिंह: ग़ालिब की आत्मा की तलाश में

जगजीत सिंह का नाम ज़हन में आते ही चेहरे पर आज भी मुस्कुराहट आ जाती है। जगजीत सिंह पिछली सदी की नब्बे वाली दहाई में जवान होती नस्ल के नौस्टेलजिया का एक अहम किरदार है। वो पीढ़ी जिस तरह अपने बचपन में कार्टूनिस्ट प्राण के किरदारों की नई काॅमिक्स की बेतहाशा राह तका करती थी, ठीक उसी शिद्दत से जगजीत सिंह के नई कैसेट्स उस जवान होती पीढ़ी को मुंतज़िर रखते थे।

Twitter Feeds

Facebook Feeds