Articles By Ajay Negi

अजय नेगी का जन्म 1998 में फ़रीदाबाद (हरियाणा) में हुआ। वर्तमान में आप पंडित जवाहरलाल नेहरू कॉलेज, फ़रीदाबाद में साइकोलॉजी के छात्र हैं। अजय नेगी की आरम्भ से ही साहित्य में रुचि रही है। आप हिंदी और उर्दू भाषा-ज्ञान के विकास की ओर निरंतर प्रयत्नशील हैं।

शायरी अक्सर हमारा काम आसान बना देती है

अगर उर्दू शायरी में हम मोहब्बत की बात करें तो ऐसा नहीं हो सकता कि हमारे ज़ेहन में ‛‛बशीर बद्र’’ साहब का नाम न आए। आज की इस रफ़्तार-भरी ज़िन्दगी में बशीर बद्र साहब के अशआर हमें ठहरना सिखाते हैं, हमारे अंदर मोहब्बत के जज़्बात पैदा करते हैं। उन्होंने लगभग हर उम्र के लोगों पर अपनी शायरी की ख़ुश्बू को बिखेरा है और मोहब्बत के नए रंगों से मिलवाया है।

एक ऐसा परिवार जो छ पीढ़ियों से साहित्य की ख़िदमत कर रहा है

उर्दू अदब के चंद बेहतरीन और अहम शाइरों की फ़ेहरिस्त में जाँ निसार अख़्तर का नाम भी आता है। अपनी बात को आसान लहजे में कह देने का फ़न उन की शाइरी में भी देखने को मिलता है। वो अपने वक़्त से लेकर अब तक लोगों के पसंदीदा शाइर बने हुए हैं जब कि ऐसा कम शाइरों के साथ होता है। उनकी शाइरी को पसंद करने वाले लोगों में दिन-ब-दिन इज़ाफ़ा हो रहा है।

Javed Akhtar Blog

सफ़िया अख़्तर का जादू जो बाक़ी दुनिया के लिए जावेद अख़्तर है

जावेद अख़्तर साहब अदब की दुनिया का वो रौशन सितारा हैं जो कि बे-हद लम्बे समय से अपनी चमक बिखेर रहा है और वक़्त के साथ साथ जिस की रौशनी दोबाला हो रही है। दुनिया का शायद ही कोई शख़्स होगा जिस तक जावेद अख़्तर साहब के कलाम का जादू न पहुंचा हो।

जो उन्हें नहीं जानते उन्हें ज़रूर जानना चाहिए

ये बात सुनकर दुख होता है कि जिन लोगों को शायरी में दिलचस्पी नहीं है या फिर कम है वो शकील बदायुनी साहब को सिर्फ़ फ़िल्मी गानों के हवाले से ही जानते हैं। जब कि ऐसा नहीं होना चाहिए शकील साहब एक बहुत बेहतरीन शायर भी थे। उनका तरन्नुम और अंदाज़ दूसरे शायरों से मुनफ़रिद था। बिला-शुबा ये बात कही जा सकती है कि अगर शकील साहब फ़िल्मी दुनिया के लिए गाने न लिखते तो भी उनकी शायरी में इतना दम था कि जो उन्हें मक़बूल बना सके और उन्होंने एक उम्र तक अपनी शायरी से मक़बूलियत हासिल भी की।

Jagjit Singh

जगजीत सिंह: एक याद

ग़ज़ल गायकों में वैसे तो बहुत बड़े बड़े नाम हुए हैं, लेकिन इसको एक नया आहंग देने में जगजीत सिंह का बेहद अहम योगदान है। ग़ज़ल गायकी में पहली बार गिटार, वायलिन जैसे साज़ों का इस्तिमाल करके एक नया रूप पैदा करना ये सिर्फ़ जगजीत सिंह के बस की ही बात थी। उन्होंने वाक़ई उर्दू शायरी और उर्दू ग़ज़ल को वो मक़ाम दिया है जो उसे मिलना चाहिए था। उनके और उर्दू के चाहने वाले ये बात कभी नहीं भूल सकते।

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