Archives : July 2022

मुहल्ला बिल्लीमारान या बल्लीमारान? एक दिलचस्प बहस

अब मुहल्ले का नाम बिल्लीमारों क्यों था? हालाँकि इस बात का कोई सुबूत नहीं मिलता लेकिन इस हवाले से एक बात ये कही जाती है कि एक ज़माने में यहाँ साहँसी या साँसी लोग रहते थे जो कुत्ते-बिल्लियों का गोश्त खाया करते थे। इसलिए इस मुहल्ले को ‘बिल्लीमारों’ का मुहल्ला कहा जाता है।

Gulzar Dehlvi

गुलज़ार देहलवी : हमारी गंगा-जमुनी तहज़ीब के अलम -बरदार

पंडित आनंद मोहन ज़ुत्शी गुलज़ार देहलवी अपना जिस्मानी सफ़र तमाम करके हमारी अदबी और तहज़ीबी तारीख़ में एक ऐसी दास्तान के तौर पर दर्ज हो गए हैं, जिसे जब भी पढ़ा या सुना जाएगा तो आँखों से ओझल होती हुई हमारी मुशतर्का तहज़ीब का तमाम-तर हुस्न-ओ-जमाल मुजस्सम हो कर सामने आ जाएगा।

Urdu Blog

 आईना-दर-आईना

आईने ने शाइरों का काम बहुत आसान बनाया, इतना आसान कि उस पर हज़ारों शेर कहे गए और अब नए शोरा आईने पर शेर कहते हुए या तो नए ज़ाविए तलाश करते हैं, या इस इस्तिआरे से ही गुरेज़ करते नज़र आते हैं।

Indian Independence Blog

From 1857 to 1947: Towards Our Independence with Urdu Nazms

A part of India’s exquisite literature that has arguably been the closest to common people is Urdu poetry. So much so, that many of the couplets have become like idioms to us. But besides Ghazals and its Shers, Nazms, too are etched in our collective consciousness.

Twitter Feeds

Facebook Feeds