Articles By Bakul Dev

Rahat Indori

तमाम शह्र में मौज़ू ए गुफ़्तगू हम थे

राहत इंदौरी ने मुशाइरे को एक क़िस्म के परफ़ार्मेंस में बदल दिया.. और मुशाइरे के मंच को भी राहत इंदौरी से बड़ा परफ़ार्मर अब शायद ही नसीब हो। वे ऐसा जादू जगाते थे जिसको दोहराना किसी के भी लिये मुमकिन न था।

मीर तक़ी मीर: चलो टुक मीर को सुनने कि मोती से पिरोता है

मीर के बारे में अक्सर ये कहा जाता है कि उन्होंने सह्ल ज़बान या सरल भाषा में शाइरी की है। ऐसी ज़बान जिसे समझने में किसी को कोई परेशानी न हो और ये बात अक्सर ग़ालिब से उनका मवाज़ना/तुलना करते हुए कही जाती है। लेकिन क्या वाक़ई मीर की शाइरी आसान/आसानी से समझ में आ जाने वाली शाइरी है?

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