Articles By Shobhit Saxena

शोभित सक्सेना का जन्म 1996 में शेर –ओ-अदब के शहर अलीगढ़ में हुआ। आपने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के सिटी हाई स्कूल से दसवीं तक शिक्षा प्राप्त की। वर्तमान में आप जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, अलीगढ़ में चिकित्सा-विज्ञान के छात्र हैं। शोभित की आरम्भ से ही साहित्य में रुचि रही है। आप हिंदी और उर्दू के विद्यार्थी एवं भाषा-ज्ञान के विकास की ओर निरंतर प्रयत्नशील हैं। आप हिंदी और उर्दू में काव्य रचनाएँ करते हैं, जिन्हें विश्वविद्यालय स्तर पर प्रेम और सम्मान प्राप्त हुआ है।

Bhartendu Harishchandra blog

35 साल का जीवन मिला मगर बड़ा काम कर गए

भारतेन्दु हरिश्चंद्र को हिंदी अदब की दुनिया में एक हमा-दाँ अदीब के तौर पर बेपनाह शोहरत और मक़बूलियत हासिल है। बेशक भारतेन्दु ने हिंदी अदब में एक लासानी मक़ाम हासिल किया, लेकिन आपका क़लम सिर्फ़ एक मख़सूस ज़बान तक महदूद नहीं रहा। आपने कई दीगर ज़बानों में अपना क़लम चलाया, लेकिन आपकी उर्दू तसानीफ़ वाक़ई क़ाबिल-ए-ज़िक्र हैं।

Lal Qila 1960 movie blog

लाल क़िला फ़िल्म आज भी हमें अपने असर में रक्खे हुए है

ख़ूबसूरत मुकालिमों से आरास्ता 1960 में मंज़र-ए-आम पर आयी फ़िल्म “लाल क़िला” सिर्फ़ लाल क़िले और हिन्दोस्तान के आख़िरी ताजदार बहादुर शाह ज़फ़र की कहानी नहीं है, बल्कि उस शरारे की कहानी है जो ज़ुल्म और इस्तेहसाल की हवा पा कर 1857 में एक शोले की शक्ल इख़्तियार कर गया।

Mirza Ghalib Film 1954

जब मंटो ने मिर्ज़ा ग़ालिब पर फ़िल्म बनाई और संवाद बेदी ने लिखा

1954 की “मिर्ज़ा ग़ालिब” उन गिने-चुने दरीचों में से है, जो अवाम को माज़ी में झाँकने का मौक़ा बख़्शती है। फ़िल्म के ख़ूबसूरत मुकालमे राजिंदर सिंह बेदी की क़लम से निकले हैं, जो ख़ुद एक मुमताज़ अदीब रहे हैं।

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