मेरा पैग़ाम मुहब्बत है…
जिगर साहिब रिवायती ग़ज़ल के आख़िरी बड़े शायर हैं। लेकिन उनकी शायरी के आख़िरी दौर में कहीं-कहीं आधुनिकता के हल्के-हल्के रंग भी नज़र आने लगे थे। अगर जिगर साहिब को दस बरस की ज़िन्दगी और शायरी अता हो जाती तो मुमकिन है कि जिगर साहब जदीद शायरी की बुनियाद रखने वाले शायरों में भी गिने जाते।