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Nasir Kazmi Blog

नासिर काज़मी ज़िन्दगी भर अपनी धरती अंबाला को याद करते रहे

नासिर के यहाँ रात बेहद वसीअ है। रात के मुख़्तलिफ़ पहलू उनकी शायरी में मौजूद हैं। कहा जाता है कि वो सारी सारी रात जागते रहते, और जब पौ फटती, परिंदे चहचहाना शुरू करते तब जा कर उनकी आँखों में नींद का कोई निशान नज़र आता।

Waqt Par Shayari

आइये वक़्त के साथ चलते हैं कुछ शेरों के सहारे

अव्वल तो ये कि वक़्त फ़ारसी का लफ़्ज़ है। लेकिन फ़ारसी में इसका तलफ़्फ़ुज़ कुछ इस तरह से है कि ये ‘बख़्त’ बन जाता है मगर लिखा वक़्त ही जाता है। फ़ारसी में वक़्त का मतलब समय का हिस्सा, ज़माना या मौसम होता है। हिंदी-उर्दू में इस्तेमाल होने वाला बख़्श भी इसी ‘वक़्त’ का रूप है। जिस तरह से हिंदी में ‘व’ – ‘ब’ में बदलता है, ठीक उसी तरह से फ़ारसी में भी। वक़्त जब रूप बदलकर बख़्त बना तो उसका मतलब भी समय से बदलकर क़िस्मत या भाग्य हो गया।

Corona, shayari, urdu, poetry

कोरोना के बाद की दुनिया: शायर की नज़र से

इक्कीसवीं सदी की तीसरी दहाई शुरू हुआ चाहती है। मौसमे-सर्द रवाना होते-होते वापसी कर रहा है और मौसमे-गर्म की आमद-आमद है। मगर दो मौसमों के मिलन की इस साअत में भी दिल बुझे हुए हैं। दो-चार लोगों के दिल नहीं, दो-चार शहरों या मुल्कों के दिल नहीं बल्कि सारी दुनिया के दिल बुझे हुए हैं।… continue reading

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