Tag : Urdu Prose

Prose लिखने के लिए कुछ ज़रूरी बातें

नस्र ज़बान की वो सिन्फ़ है, जो तक़रीर के फ़ितरी बहाव (एक तय-शुदा क़वाइद के ढाँचे की पैरवी करते हुए) का इज़हार करती है। नस्र शाइरी की तमाम अस्नाफ़ से जुदा वो सिन्फ़ है, जो शाइरी से वाबस्ता किसी भी तरह की क़वाएद जैसे- बह्र, आहंग, लय, रदीफ़, क़ाफ़िया वग़ैरा पर नहीं बल्कि ज़बान के मुश्तर्का ढाँचे पर मबनी होती है।

इन दास्तानों में हमें हमेशा बुराई पर अच्छाई की जीत मिलती है

नस्र के लिहाज़ से उर्दू अदब की क़दीम-तर सिन्फ़ दास्तान को कहा गया है। उर्दू अदब का नहवी जुज़्व बुनियादी तौर पर नामी महाकावी कहानियों की क़दीम- तर शक्ल तक ही महदूद था जिसे दास्तान कहा जाता था। इन लम्बी कहानियों के पेचीदा प्लॉट तिलिस्म, जादुई और दीगर हैरत-अंगेज़ मख़्लूक़ और वाक़िआत से लबरेज़ होते थे।

यूसुफ़ी: जो उर्दू फ़र्श पर बैठ कर लिखते थे और अंग्रेज़ी कुर्सी पर

भाषा के लिए यूसुफ़ी अपनी पत्नी को अपना गुरु समझते थे। इदरीस बेगम अलीगढ़ की तालीम-ए-याफ़ता थीं और ज़बान शनास थीं। यूसुफ़ी उनसे कहते ‘भाषा के मुआमले में हम तुम्हारी मानते हैं बाक़ी मुआमलों में तुम हमारी मानो।’

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