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Let’s count them words!

Different poets might use slightly different distribution of words and word clouds are typically used to convey information about the distribution of words in some specific context. The more a word is used, the bigger it is on the cloud. So, let us make these word clouds for some prominent poets and see if they convey some insight into their commonalities and distinctiveness. 

Naya Nagar Novel

“नया नगर” से बाहर निकलते हुए…

“नया नगर” तसनीफ़ का पहला नॉवेल है। इस नॉवेल में तसनीफ़ ने उर्दू अदब के मुख़्तलिफ़ मसाइल को क़ारईन-ओ-नाक़िदीन के सामने पेश करने की कामयाब कोशिश की है। नॉवेल बेसिकली उर्दू कल्चर के ज़वाल का एक बयानिया है। बयानिया से मेरी मुराद एक कहानी को बयान करने से है ना कि नैरेटिव से। इस नॉवेल में जिन मौज़ूआ’त पे रौशनी डाली गई है उनमें ग़ज़ल, औरत, अदबी और मज़हबी तफ़रक़ा-बाज़ियों का ज़िक्र आता है। इसके अलावा गुजरात राइट्स, इश्क़-ए-ला-हासिल और मीरा रोड से नज़र आने वाली फ़िल्मी दुनिया का बयान भी किया गया है।

Shankar Shailendra

शंकर शैलेंद्र के नग़्मे हमें आज भी याद हैं।

पंजाब के रावलपिंडी में 30 अगस्त 1923 को पैदा हुए पिता ने नाम रखा शंकर दास केसरी लाल लेकिन आगे चलकर ‘शैलेन्द्र’ के नाम से शोहरत पायी और इसे ही अपना तख़ल्लुस बनाया । इनके पूर्वज बिहार के आरा ज़िले के रहने वाले थे। एक बार इनके पिता बहुत बीमार पड़ गए घर में ग़रीबी,बदहाली थी ,सो ये सब रावलपिंडी छोड़ मथुरा मुन्तक़िल हुए और यहाॅं अपने एक रिश्तेदार जो रेलवे में काम किया करते थे उनके पास चले आए पर वहाॅं भी हालात सुधरे नहीं।

Lafz

لفظ، وزن اور شعر

موسیقی میں فنکار اگر پیش کش کے دوران سُر سے کہیں ہٹ بھی جائے تو یہ سمجھا جاتا ہے کہ ریاض میں کمی بیشی رہ گئی ہے۔ اکثر اس نوع کی کمی بیشی سے صرفِ نظر بھی کیا جاتا ہے۔ لیکن اگر فنکاربے تالا ہوجائے تو اسے محض بے آہنگی سے تعبیر نہیں کیا جاتا بلکہ موسیقی کے ماہر اس بات سے یہ نتیجہ اخذ کرتے ہیں کہ فنکار فنِ موسیقی سے نابلد ہے۔ بالکل اسی طرح اگر کوئی شاعر پست سے پست ترین مضمون کو وزن میں پیش کرے تو موضونیت کا وصف اسے کم از کم کلامِ موزون کا درجہ عطا کرتا ہے۔

Ahmad Faraz

जब रिटायर्ड जनरल बोले ‘फ़राज़ तुम बाज़ नहीं आते, मैं तुम्हें देख लूँगा’

फ़राज़ रिहाई के बाद ऑफ़िस में बैठे थे कि फ़ोन की घंटी बजने लगी। उधर से आवाज़ आई, “वज़ीर-ए-आज़म आपसे बात करना चाहते हैं। भुट्टो फ़ोन पर आते ही बोले, ”फ़राज़ दिस इज़ मी, दिस टाइम आई सेवड योर लाईफ़। दे वांट टू ट्राई यू।”

भारतीय संगीत की संकीर्ण रागिनियाँ

दुनिया में किसी भी क्षेत्र की संगीत प्रणाली व्यापकता और गहराई में भारतीय संगीत का मुक़ाबला नहीं कर सकती। यद्यपि प्राचीन काल से भारतीय संगीत प्रणाली में कुछ ऐसे तत्व शामिल हुए हैं जिनकी हैसियत मात्र पौराणिक है मगर उन तत्वों की वजह से भारतीय संगीत की एक ऐसी तस्वीर सामने आजाती है जिसमें अलग अलग रंग बोलते हुए दिखाई देते हैं।

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