‘बेटा इश्क़ करो, इश्क़’ कितना बदला था पिता की इस नसीहत से मीर का जीवन
किशोरावस्था में ही मिल जाने वाले इश्क़ के सबक़ को लेकर मीर उम्र भर जीते रहे। उनकी ज़िंदगी का कोई काम इश्क़ के शोर और वलवले से ख़ाली नहीं था। उन्होंने न सिर्फ़ पिता से ये नसीहतें सुनी थीं बल्कि इश्क़ में शराबोर उनके जीवन का नज़ारा भी किया था।