यहाँ बैठ कर शिकायतें भी होती थीं और मोहब्बतें भी
माया-नगरी मुंबई जैसे एक कोह-ए-निदा है, जो हर वक़्त आवाज़ देता रहता है और लोग-बाग बोरिया-बिस्तर बांधे जूक़ दर जूक़ इसकी तरफ़ भागे चले आते हैं। इस शहर के आकर्षण में समुंदर के अलावा दो और चीजों ने बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।