Tag : Urdu Poetry

Is Baarish Ko Hum Kya Likhen? Rain’s Many Names

Rain is truly one of the wonders of nature. From the arrival of the fruit-bearing springtime to the wintery winds of change knocking at our doors, rain is the magic wand swirling behind the seasonal spell.

Ghazal aur Nazm

ग़ज़ल बड़ी या नज़्म

नज़्म की बुनियादी शर्त होती है एक ही मौज़ूअ’ को बयान करना लेकिन क्या ग़ज़ल में ऐसा है? नहीं बिल्कुल नहीं। ग़ज़ल के तमाम अशआ’र अपने आप में मुख़्तलिफ़ मौज़ूअ’ पर होते हैं और क़ाबिल-ए-ग़ौर बात यह है कि ग़ज़ल का हर शे’र अपने आप में एक मुकम्मल नज़्म होता है या’नी कोई भी ग़ज़ल कम-अज़-कम पाँच मुख़्तलिफ़ नज़्मों का इज्तिमा’ है, तो फिर नज़्म बड़ी कैसे हुई?

Nazeer Akbarabadi

नज़ीर अकबराबादी: देसी मिट्टी की ख़ुश्बू

वली मोहम्मद नाम के गुमनाम शाइर अवाम के गीत गा रहे थे। कभी ककड़ी खीरा बेचने वाले के लिए नज़्म लिख देते तो कभी लड्डू बेचने वाले के लिए इस से ये हुआ कि लोग इन्हें बाज़ारी शाइर कहने लगे। पूरा नाम शेख़ वली मोहम्मद था लेकिन नज़ीर अकबराबादी के नाम से शोहरत पायी । इनका जन्म दिल्ली में 1735 के आसपास शेख़ मुहम्मद फ़ारूक़ के घर हुआ।

Daagh Dehlvi

शायरी से सम्बंधित ये ज़रूरी बातें सब को जानना चाहिए

मिर्ज़ा दाग़ देहलवी कहते हैं कि आगे मैं आपको जो भी बताने-समझाने जा रहा हूँ उन तमाम बातों को ग़ौर से सुन लें क्यों कि इन सब बातों को जाने-समझे बग़ैर आप अच्छे शे’र नहीं कह पाएँगे। आपका बयान और ज़बान यूँही सी रहेगी उसमें कोई ख़ूब-सूरती, नया-पन और तख़्लीक़ी सलाहियत पैदा नहीं हो सकेगी।

Jameel Gulrays

وہ شخص دھوپ میں دیکھو تو چھاؤں جیسا ہے

جمیل گلریز ایک شخص نہیں بلکہ ایک انجمن کا نام ہے ۔ اردو سے محبت کا دعوی تو بہت لوگ کرتے ہیں لیکن اردو کا ایسا مخلص اور بے لوث سپاہی شاید ہی ملے ۔ صلہ کی تمنا اور ستائش کی پروا کئے بغیر وہ ہندوستانی زبانوں اور خاص کر اردو کو بچانے کی مہم میں جٹے ہوئے ہیں ۔ وہ بمبئی(ممبئی) پانچ نومبر انیس سو انچاس (5/11/49)میں پیدا ہوئے ۔ اردو میں ایک محاورہ ہے “سونے کا چمچ “ لیکر پیدا ہونا ۔

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