हमारी ज़िन्दगी में भी बहर होती है
बहर क्या है? बहर घड़ी की टिक-टिक है। बह’र लय है, हू-ब-हू जैसे हमारी साँसों की लय, हमारी नब्ज़ की लय, हमारे दिल की धड़कन की लय, समन्दर की लहरों की लय, हवा का वेग, नदी का प्रवाह, ऋतुओं का बदलना, सुब्ह होना- दोपहर होना- शाम होना- रात होना और फिर सुब्ह होना।