Archives : September 2020
लुग़ात-ए-फ़िक्री, यानी फ़िक्र तोनस्वी का लिखा गया चंद पन्नों का ‘शब्दकोश’ अपने तौर की बहुत दिलचस्प और मज़ेदार तहरीर है। इसमें फ़िक्र ने हमारे दैनिक जीवन में प्रयोग किए जाने वाले शब्दों के अर्थ समाज की कड़वी हक़ीक़तों से बहुत क़रीब जा कर लिखे हैं। यहाँ लीडर का मतलब सिर्फ़ लीडर या राजनेता नहीं बल्कि वह है जो उसके व्यक्तित्व और उसके कारनामों से तय पाता है।
By Rekhta Archive
September 15, 2020
These Urdu poetic symposia came to be known as Mushairas in the 18th century before which they were called Murekhta or Majlis-e-Rekhta performed in the Rekhta language, an early form of Urdu language, literally meaning ‘scattered’ or ‘mixed’ because it contained Persian in it.
By Vishakha Goyal
September 11, 2020
जिगर के साथ वक़्त गुज़ारने वाले बताते हैं कि शराब की बोतल सिर्फ़ उस वक़्त जिगर के हाथ से छूटती जब वह बेहोशी के आलम में होते। नशा उतरता और फिर पीना शुरू कर देते। जिगर ने शराब की क्वालिटी, हद और पीने के वक़्त के बारे में कभी कुछ नहीं सोचा। वह हर वक़्त, हर तरह की शराब ज़्यादा से ज़्यादा पीना चाहते थे।
By Hussain Ayaz
September 8, 2020
भाषा के लिए यूसुफ़ी अपनी पत्नी को अपना गुरु समझते थे। इदरीस बेगम अलीगढ़ की तालीम-ए-याफ़ता थीं और ज़बान शनास थीं। यूसुफ़ी उनसे कहते ‘भाषा के मुआमले में हम तुम्हारी मानते हैं बाक़ी मुआमलों में तुम हमारी मानो।’
By Hussain Ayaz
September 3, 2020