Archives : October 2020

Lafzon par nigrani rakkho

लफ़्ज़ों पर निगरानी रक्खो

हमारी आम ज़बान में ख़ासतौर से दो लफ़्ज़ ‘ग़लती’ और ‘हरकत’ बहुत मक़बूल और राइज हैं पर शाएरी के हवाले से देखें तो इनका इस्तेमाल हम ग़लत तरीक़े से कर सकते हैं क्यों कि हम इन दोनों ही अल्फ़ाज़ के अस्ल तलफ़्फ़ुज़ से वाक़िफ़ नहीं हैं।

Lafzon ke matrook hone ki kahani

لفظوں کے متروک ہونے کی کہانی

اب دالان اور صحن کی جگہ لابی نے لے لی ہے جہاں بیٹھ کر نہ آپ آسمان دیکھ سکتے ہیں اور نہ موسم گرما کی راتوں میں تاروں کی چھاؤں میں چارپائی بچھاکر سو سکتے ہیں، نہ سردیوں میں دھوپ سینک سکتے ہیں اور نہ برسات میں بارش کا مزہ لے سکتے ہیں۔

Image Shayari, Tasweer shayari

तस्वीर की आँखों से थकन झाँक रही है

शायर जलील मानिकपूरी साहब अपनी महबूबा की तस्वीर देखते हुए कहते हैं कि इस तस्वीर में हर अदा अच्छी है, सिवाए इस बात के कि तस्वीर में महबूबा ख़ामोश है। अब ये सभी को पता है कि अपनी तस्वीर में कोई भी शख्स ख़ामोश ही रहेगा, लेकिन फिर भी शायर का बयान लुत्फ़ देता है।

Mir Taqi Mir (interesting Anecdotes)

Mir Taqi Mir And the Mushaira of Lucknow: Interesting Anecdotes

Mir Taqi Mir, aged 60, finally arrived in the court of Lucknow at the request of Nawab Asaf-ud-Daulah in the year 1782. Being a traveller customarily staying in a Sarai Mir, learnt about a Mushaira that was about to take place one evening.

Ameer Minai

अमीर मीनाई: जिनका कलाम उन के नाम से ज़ियादा मशहूर हुआ

अमीर मीनाई एक ऐसे अहम शायर हैं जिन पर बहुत कम बात होती है, चूँकि वो हमारी शेरी रवायत के बड़े शायर हैं और मुआमिला ये है कि उनका कलाम उनसे ज़ियादा मशहूर है। अमीर मीनाई का नाम बहुत लोग नहीं जानते लेकिन उनके अशआर फिर भी लोगों की ज़बाँ पर रहते हैं, मिसाल के तौर पर “ज़मीं खा गयी आसमां कैसे कैसे”।

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