Articles By Rekhta

Premchand

प्रेमचंद की कहानियों के किसानों से मिलिए, जो आज के किसानों से ही मिलते-जुलते हैं

किसानों के जीवन को मौज़ूअ बना कर लिखी गईं ये कहानीयाँ पढ़ कर जो एक ख़ास बात सामने आती है वो ये कि प्रेमचंद के समय के किसान और हमारे दौर के किसान एक ही से हालात का शिकार हैं। प्रेमचंद की ये कहानियाँ लम्बा समय गुज़र जाने के बाद भी हमारे आज के दौर के किसानों की कहानियाँ मालूम होती हैं।

Independence Day

स्वतंत्रता आंदोलन के तनाज़ुर में लिखी गईं बेहतरीन उर्दू कहानियां

स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर हम आपके लिए उर्दू में लिखी गईं चंद ऐसी कहानियां लेकर आए हैं जो अलग-अलग समय में आज़ादी की तहरीक के तनाज़ुर में लिखी गई हैं। इन कहानियों में आज़ादी से पहले के हिन्दुस्तानी समाज की झलकियां भी हैं और आज़ाद देश के ख़्वाबों की तस्वीरें भी। साथ ही उन दुखों और उम्मीदों के क़िस्से भी जो देश की आज़ादी और विभाजन से वाबस्ता रहे।

#QissaKahani: जब दाग़ बोले, “मियाँ बशीर आप शेर कहते नहीं, शेर जनते हैं”

‘क़िस्सा कहानी’ रेख़्ता ब्लॉग की नई सीरीज़ है, जिसमें हम आप तक हर हफ़्ते उर्दू शायरों और अदीबों के जीवन और उनकी रचनाओं से जुड़े दिलचस्प क़िस्से लेकर हाज़िर होंगे। इस सीरीज़ की पहली पेशकश में पढ़िए दाग़ देहलवी की शगुफ़्ता-मिज़ाजी का एक दिलचस्प क़िस्सा।

Baat-Se-Baat-Chale

बात से बात चले, बकुल देव के साथ एक गुफ़्तगू!

इस सिलसिले के चलते अपने हमअस्रों को और क़रीब से जानने-समझने के मवाक़े तो मयस्सर आएंगे ही, साथ ही साथ गुफ़्तगू के दौरान उर्दू अदब और अदीबों के तख़्लीकी तर्ज़ो तरीक़ के नये पहलू भी सामने निकल कर आएंगे..

Mir Anees

मीर अनीस, वो फ़क़ीर शायर जो बादशाहों को भी ख़ातिर में नहीं लाता था

मीर अनीस को मर्सिया-निगारी का बादशाह कहा जाता है। उन्होंने मर्सिया-निगारी को उरूज बख़्शा। दुनिया भर में होने वाली मजलिसों में आज भी मीर अनीस के मरासी कसरत से पढ़े जाते हैं।
मीर अनीस जितने अज़ीम शायर थे उतने ही नाज़ुक-मिज़ाज और फ़क़ीर-सिफ़त इन्सान थे। वो रईसों और अमीरों की सोहबत में बैठना पसंद नहीं करते थे। इसका सुबूत उनके हैदराबाद के मुख़्तसर क़याम के दौरान भी नज़र आता है।

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