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Let’s count them words!

Different poets might use slightly different distribution of words and word clouds are typically used to convey information about the distribution of words in some specific context. The more a word is used, the bigger it is on the cloud. So, let us make these word clouds for some prominent poets and see if they convey some insight into their commonalities and distinctiveness. 

Kamal Amrohi Blog

ये चराग़ बुझ रहे हैं

पाकीज़ा फिल्म में जब मीना कुमारी राजकुमार से कहती है, “आप आ गए और आप की दिल की ध़डकनों ने मुझे कहने भी नहीं दिया कि मैं एक तवायफ हूं…” तो पूरा शॉट फ्रीज हो जाता है। इसके तुरंत बाद शायद हिंदी सिनेमा के सबसे रोमांटिग गीतों में एक एक “चलो दिलदार चलो, चांद के पार चलो” शुरू होता है। यह एक पूरी सीक्वेंस है: तवायफ होने की सच्चाई के आगे राजकुमार के रूमानी प्रेम का चटख जाना, शॉट फ्रीज होना और फिर रूमानियत का चरम, जो इस दुनिया के पार जाने की बात करता है।

Kamal Amrohi

आ भी जा मेरी दुनिया में

कमाल अमरोही की फिल्मों पर चर्चा करते वक्त दो ऐसी फिल्मों पर बात करना जरूरी है, जिनको उन्होंने निर्देशित नहीं किया है मगर उन पर कमाल अमरोही की छाप स्पष्ट देखने को मिलती है। ये दो फिल्में हैं ‘दिल अपना और प्रीत पराई’ (1960) और ‘शंकर हुसैन’ (1977)। गौर करें तो कमाल अमरोही की प्रोड्यूस और किशोर साहू द्वारा निर्देशित फिल्म ‘दिल अपना और प्रीत पराई’ में उदासी के अद्भुत शेड्स देखने को मिलते हैं।

Kamal Amrohi

आएगा आने वाला…

‘महल’ जैसी फिल्म भारतीय सिनेमा में आज भी असाधारण है। अपने कथानक, वातावरण और चरित्रों के प्रस्तुतीकरण में तो यह अनूठी है, मगर साथ ही इसका फिल्मांकन और कथानक में अंर्तनिहित तत्व इसे दुनिया की बेहतरीन फिल्मों की कतार में लाकर खड़ा कर देते हैं. यह अपने सिर्फ एक रहस्य भरे कथानक वाली फिल्म नहीं थी, इस फिल्म में एक बेरहम किस्म की उदासी थी। इसे पहली हॉरर और पुनर्जन्म की कहानी बयान करने वाली फिल्म माना जाता है।

Holi Shayari

आशिक़ों के गालों पर विसाल का रंग लगाने वाली होली

होली के दिन चारों ओर फ़ज़ा में रंग ही रंग दिखते हैं और सडकों, गलियों, आँगनों में लाल, हरे, नीले, पीले रंगों से पुते चेहरे| इन चेहरों पर एक उत्साह दिखता है जो इंसानों के बीच का अजनबियत मिटा देता है| सड़कों से गुजरते राहगीरों पर जब बच्चे रंग भरे ग़ुब्बारे फेंकते हैं तो उन राहगीरों के चेहरे पे एक मुस्कान उभर आती है|

अज़ीब दास्तां है ये

कमाल अमरोही के परिवार का अदब से गहरा ताल्लुक था। सोशल मीडिया से रू-ब-रू पीढ़ी के बीच मकबूल हो चुके जौन इलिया का जन्म भी इसी घर में हुआ था, जो कमाल के भाई थे। उनके एक और भाई रईस अमरोहवी जाने माने विचारक, स्तंभकार और शायर थे। एक दूसरे भाई सैयद मोहम्मद तक़ी पाकिस्तान के जाने-माने पत्रकार और फलसफ़े के जानकार बने।

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