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Let’s count them words!

Different poets might use slightly different distribution of words and word clouds are typically used to convey information about the distribution of words in some specific context. The more a word is used, the bigger it is on the cloud. So, let us make these word clouds for some prominent poets and see if they convey some insight into their commonalities and distinctiveness. 

एक ऐसा परिवार जो छ पीढ़ियों से साहित्य की ख़िदमत कर रहा है

उर्दू अदब के चंद बेहतरीन और अहम शाइरों की फ़ेहरिस्त में जाँ निसार अख़्तर का नाम भी आता है। अपनी बात को आसान लहजे में कह देने का फ़न उन की शाइरी में भी देखने को मिलता है। वो अपने वक़्त से लेकर अब तक लोगों के पसंदीदा शाइर बने हुए हैं जब कि ऐसा कम शाइरों के साथ होता है। उनकी शाइरी को पसंद करने वाले लोगों में दिन-ब-दिन इज़ाफ़ा हो रहा है।

Mirza Ghalib Blog

जब कोलकता में ग़ालिब के एक फ़ारसी शेर पर विवाद खड़ा हो गया

एक तो ग़ालिब के जिस्म में दौड़ता ईरानी लहू और दिमाग में ईरानी उस्ताद की नसीहतें और तजर्बे, इन दोनों के मेल ने ग़ालिब को फ़ारसी का ज़बरदस्त और ज़हीन शायर बना दिया। सिर्फ़ शायर ही नहीं बल्कि उनके खाने पीने, उठने बैठनें, बात करने, कपड़े पहनने और सोचने समझने का अंदाज तक ख़ालिस ईरानी हो गया।

Jagjit Singh Blog

जगजीत सिंह: ग़ालिब की आत्मा की तलाश में

जगजीत सिंह का नाम ज़हन में आते ही चेहरे पर आज भी मुस्कुराहट आ जाती है। जगजीत सिंह पिछली सदी की नब्बे वाली दहाई में जवान होती नस्ल के नौस्टेलजिया का एक अहम किरदार है। वो पीढ़ी जिस तरह अपने बचपन में कार्टूनिस्ट प्राण के किरदारों की नई काॅमिक्स की बेतहाशा राह तका करती थी, ठीक उसी शिद्दत से जगजीत सिंह के नई कैसेट्स उस जवान होती पीढ़ी को मुंतज़िर रखते थे।

lata-mangeshkar

लता मंगेशकर : वो आवाज़ ही हमारी पहचान है

लता मंगेशकर उस ऐतिहासिक बदलाव का हिस्सा थीं, जब सिनेमा बदल रहा था, सिनेमा का संगीत बदल रहा था। सिनेमा के पर्दे पर पारसी शैली में गीतों के नाटकीय चित्रण से अलग उनकी आवाज़ हर तरफ छाने लगी। ग्रामोफोन के रिकार्ड्स के जरिए, रेडियो के जरिए और लोगों की गुनगुनाहट के जरिए। गीत अब महज किरदार की कहानी नहीं बयान करते थे, लोगों के दिलों की आवाज़ बनने लगे।

lata-mangeshkar

Lata Mangeshkar: The Immortal Voice, Immortalized

Shakeel Badayuni, Majrooh Sultanpuri, Gulzar, Jaan Nisar Akhtar, and even Naushad Sahab – calling to mind the many poets who tried to touch upon Lata Mangeshkar voice in their poems, in the end, I strongly felt that her voice always remained untouched.

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