जिगर मुरादाबादी की शायरी हुस्न और मोहब्बत के इर्द गिर्द घूमती है
जिगर मुरादाबादी उन चन्द सोच बदलने वाले शायरों में शामिल हैं, जिन्होंने बीसवीं सदी में ग़ज़ल के मेयार को गिरने नहीं दिया, बल्कि उसको ज़ुबानो-बयान के नये जहानों की सैर भी करायी। उसे नए लहजे और नए रंग से चमकाया भी। जिगर साहिब ने उर्दू शायरी को और कुछ दिया हो या न दिया हो लेकिन जिगर साहब उर्दू शायरी का वो पहला नाम हैं जिन्हें किताब और स्टेज पर एक जैसी मक़बूलियत ही नहीं महबूबियत भी हासिल हुई।