Tag : Allama Iqbal

Indian Independence Blog

From 1857 to 1947: Towards Our Independence with Urdu Nazms

A part of India’s exquisite literature that has arguably been the closest to common people is Urdu poetry. So much so, that many of the couplets have become like idioms to us. But besides Ghazals and its Shers, Nazms, too are etched in our collective consciousness.

शायरी के इन किरदारों के बारे में अगर आप नहीं जानते तो ज़रूर जानना चाहिए

शायरी में अलग अलग थीम्स और उनसे जुड़े किरदार होते हैं जैसे इश्क़ की थीम है तो उसमें आशिक़ होगा, महबूब होगा, रक़ीब होगा, और कभी कभी उपदेश देने वाले का इज़ाफ़ा हो जाता है। इसी तरह लहरें और समंदर का ज़िक्र है तो नाख़ुदा होगा, हर ख़ास थीम के साथ उसके उतने ही ख़ास इस्तियारे या किरदार हैं।

Urdu Poetry Blog

How to Read Sounds in Poetry?

Think, what first comes to your mind as you read a couplet? Its idea, image, eloquence, assonance, or something else? Barely are we drawn towards the sounds that envelope the syllables that we’re uttering.

Allama Iqbal

اقبال : ہندوستانی شاعر

اقبال ہندوستانی عظمتوں کے سچا نغمہ طراز تھے۔ اقبال کا خمیر ہندوستان کی مٹی سے اٹھا تھا۔ انھوں نے اپنی شہرہء آفاق نظم “شعاعِ امید” اس وقت لکھی جب وہ اپنے تمام افکار ونظریات تقریباً مکمل طور پر پیش کرچکے تھے۔

muhavare-aur-kahawat

इन मुहावरों और कहावतों को हम ज़रूर अपने जीवन में प्रियोग करते होंगे

अमूमन लोग मुहावरा और कहावत को एक समझते हैं। जब कि ऐसा नहीं है। मुहावरा अरबी ज़बान का लफ़्ज़ है जिसका मतलब मख़्सूस ज़बान में राइज मख़्सूस जुमलों से मुतअल्लिक़ा है, या’नी ऐसे वाक्यांश या शब्द-समूह जिन्हें जैसा का तैसा बोला या लिखा जाता है। जैसे: पानी-पानी होना, टेढ़ी खीर होना, आँख आना, सर पर चढ़ना वग़ैरा।

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