Tag : Birth Anniversary

दिलीप कुमार: एक ज़िन्दगी के भीतर कितनी ज़िन्दगियां…

दिलीप कुमार इकलौते अभिनेता थे कि जब कैमरे की तरफ़ पीठ होती थी तब भी वे अभिनय करते नजर आते थे। फ़िल्म ‘अमर’ में एक दृश्य में मधुबाला उनसे मुख़ातिब हैं और कहती हैं, “सूरत से तो आप भले आदमी मालूम होते हैं…” फ़्रेम में सिर्फ़ उनकी धुंधली सी बांह नज़र आती है मगर संवाद अदायगी के साथ वे जिस तरीक़े से अपनी बांह को झटके से पीछे करते हैं वह उनके संवाद “सीरत में भी कुछ ऐसा बुरा नहीं…” को और ज़ियादा असरदार बना देता है।

Nasir Kazmi Blog

नासिर काज़मी ज़िन्दगी भर अपनी धरती अंबाला को याद करते रहे

नासिर के यहाँ रात बेहद वसीअ है। रात के मुख़्तलिफ़ पहलू उनकी शायरी में मौजूद हैं। कहा जाता है कि वो सारी सारी रात जागते रहते, और जब पौ फटती, परिंदे चहचहाना शुरू करते तब जा कर उनकी आँखों में नींद का कोई निशान नज़र आता।

josh malihabadi shayari

Unique Dimensions of Josh

Josh gave new meaning to life and new life to the meaning. He accorded a new level of consciousness to the art of aesthetics and poetry. He has the capacity of intellect to rationalize and analyze, and the integrity of character to fearlessly question and discard. And some of those questions were cutting too deep and too close to the core of the matter, hence he was punished.

Parveen Shakir

परवीन शाकिर ने अपने अंदर की लड़की को मरने नहीं दिया

परवीन शाकिर अगर आज हयात होतीं तो उनहत्तर (69) साल की होतीं, लेकिन न जाने ख़ुदा की क्या हिक्मत या मस्लिहत है कि वो हमसे उन लोगों को बहुत जल्दी छीन लेता है जो हमें बहुत महबूब होते हैं। ऐसे शाइरों, अदीबों और फ़नकारों की एक लंबी फ़ेहरिस्त है जो बहुत जल्दी हमें छोड़ गए। परवीन शाकिर भी बद-क़िस्मती से इसी फ़ेहरिस्त का हिस्सा हैं।

अकबर इलाहाबादी : हिन्दुस्तानी तहज़ीब के समर्थक

अकबर इलाहबादी को अब इस से फ़र्क़ नहीं पड़ता कि वो इलाहबादी हैं या प्रयागराजी। बात उनकी शायरी की होनी चाहिए और शायरी भी कैसी जो सरासर हिंदुस्तानी है। ये बहस बहुत पुरानी है की साहित्य का मक़सद समाज की भलाई है या साहित्यकार अपने दिल की बात करता है, चाहे उसका कोई अज़ीम मक़सद न भी हो।

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