जब महबूबा को मर्डरर के बजाए क़ातिल कहा जाए
उर्दू की तारीफ़ बयान करने के लिए मेरे पास सिर्फ़ एहसासात ही हैं क्यों कि ये काम लफ़्ज़ों को नहीं दिया जा सकता। मैं यक़ीन से कह सकता हूँ कि अगर उर्दू बॉलीवुड का हिस्सा न होती तो ऐसी फ़िल्में, ग़ज़लें, नग़्में, डायलॉग्स का हमारी ज़िंदगी पर कोई ख़ास असर न होता।