Tag : Muhavare

Turki ba Turki

ترکی بہ ترکی

ترک سلاطین اور مغلوں کے دور میں دہلی اور آگرہ والے ہندی بولتے تھے لیکن لکھنے پڑھنے کا کام فارسی میں ہوتا تھا۔ سرکاری زبان فارسی سہی، لیکن شاہی محل میں اور دوسرے مغل امراء کی حویلیوں میں بچوں کی پرورش ترک مامائیں کرتی تھیں اور انھیں ترکی زبان سکھائی جاتی تھی۔ کم از کم جہانگیر کے عہد تک تو ضرور ایسا تھا۔

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इन मुहावरों और कहावतों को हम ज़रूर अपने जीवन में प्रियोग करते होंगे

अमूमन लोग मुहावरा और कहावत को एक समझते हैं। जब कि ऐसा नहीं है। मुहावरा अरबी ज़बान का लफ़्ज़ है जिसका मतलब मख़्सूस ज़बान में राइज मख़्सूस जुमलों से मुतअल्लिक़ा है, या’नी ऐसे वाक्यांश या शब्द-समूह जिन्हें जैसा का तैसा बोला या लिखा जाता है। जैसे: पानी-पानी होना, टेढ़ी खीर होना, आँख आना, सर पर चढ़ना वग़ैरा।

Sikkon ki Kahani aur Muhavare

سِکّوں کی کہانی اور ہمارے محاورے

آج کل ایک روپیے کا جو سکہ چلن میں ہے، وہ کئی مرحلوں سے گزر کر اس مقام تک پہنچا ہے۔روپیے کا سکہ سب سے پہلے شیر شاہ سوری نے اپنے دورِ حکومت میں 1540ء اور 1545ء کے بیچ جاری کیا۔

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आँखों से सम्बंधित मुहावरे: आँखें शरीर को ही नहीं भाषा को भी ख़ूबसूरत बनाती हैं!

आँखें वैसे तो शरीर के दूसरे अंगों की तरह एकअंग ही हैं जिनके द्वारा हम संसार को देखते हैं और उसके दृश्यों से सम्बंध स्थापित करते हैं, लेकिन हमारी ज़िंदगी में इनकी अहमियत शरीर के दुसरे अंगों की अपेक्षा कुछ ज़्यादा ही रही है. अदब व शायरी में भी आँखों के इर्द-गिर्द नये नये मज़ामीन बाँधे गये हैं, उनके सौन्दर्य की प्रशंसा की गयी है

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