Tag : Urdu Poetry

10 साल, 10 शायर

उर्दू के वसीअ दामन में पली-बढ़ी मुख़्लिफ़ असनाफ़-ए-सुख़न में ग़ज़ल के हिस्से में जो मक़बूलियत आई उतनी शोहरत और मक़बूलियत शायरी की किसी सिन्फ़ को न मिल सकी। ग़ज़ल हर दौर में अपने पढ़ने-सुनने वालों से नए रंग-ढंग, नए रूप में मिली। कभी इस पर तसव्वुफ़ का रंग ग़ालिब आया, तो कभी इश्क़-ओ-मुहब्बत के जज़्बात से सरशार नज़र आई।

Parveen Shakir

परवीन शाकिर ने अपने अंदर की लड़की को मरने नहीं दिया

परवीन शाकिर अगर आज हयात होतीं तो उनहत्तर (69) साल की होतीं, लेकिन न जाने ख़ुदा की क्या हिक्मत या मस्लिहत है कि वो हमसे उन लोगों को बहुत जल्दी छीन लेता है जो हमें बहुत महबूब होते हैं। ऐसे शाइरों, अदीबों और फ़नकारों की एक लंबी फ़ेहरिस्त है जो बहुत जल्दी हमें छोड़ गए। परवीन शाकिर भी बद-क़िस्मती से इसी फ़ेहरिस्त का हिस्सा हैं।

Urdu Poetry Blog

How to Read Sounds in Poetry?

Think, what first comes to your mind as you read a couplet? Its idea, image, eloquence, assonance, or something else? Barely are we drawn towards the sounds that envelope the syllables that we’re uttering.

Allama Iqbal

اقبال : ہندوستانی شاعر

اقبال ہندوستانی عظمتوں کے سچا نغمہ طراز تھے۔ اقبال کا خمیر ہندوستان کی مٹی سے اٹھا تھا۔ انھوں نے اپنی شہرہء آفاق نظم “شعاعِ امید” اس وقت لکھی جب وہ اپنے تمام افکار ونظریات تقریباً مکمل طور پر پیش کرچکے تھے۔

Jaun Elia

जौन तो एक धड़कता हुआ दमाग़ था!!

जौन वो शमअ’ थी जिसको मालूम था कि लोग उसके बुझने का नज़्ज़ारा करना चाहते हैं। जौन एलिया ने कभी कोशिश भी नहीं की समाज की उस रस्म को निभाने की, जिसमें अपने ज़ख़्मों को छुपाया जाता है, उनकी सर-ए-आम नुमाइश नहीं की जाती। रोया तो बीच महफ़िल रो दिया।

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