Tag : Urdu Shayari

Poems or Paintings? Select Designs Carved out of Words

Some of the finest exemplars of intriguing imageries of rain and aftermath are contained in our beloved Urdu poetry. Poets, classical and contemporary alike, have colored their couplets with words, masterfully. From Mirza Ghalib, painting the most abstract impressions, to Ahmad Mushtaq, brushing the simplest of everyday stills, this little collection offers some of the most inviting images drawn, with alphabets!

Ghazal aur Nazm

ग़ज़ल बड़ी या नज़्म

नज़्म की बुनियादी शर्त होती है एक ही मौज़ूअ’ को बयान करना लेकिन क्या ग़ज़ल में ऐसा है? नहीं बिल्कुल नहीं। ग़ज़ल के तमाम अशआ’र अपने आप में मुख़्तलिफ़ मौज़ूअ’ पर होते हैं और क़ाबिल-ए-ग़ौर बात यह है कि ग़ज़ल का हर शे’र अपने आप में एक मुकम्मल नज़्म होता है या’नी कोई भी ग़ज़ल कम-अज़-कम पाँच मुख़्तलिफ़ नज़्मों का इज्तिमा’ है, तो फिर नज़्म बड़ी कैसे हुई?

Dilip Kumar

जब दिलीप कुमार ने एक लफ़्ज़ में अपनी ऐक्टिंग का राज़ बताया

टॉम अल्टर साहब एक जगह फ़रमाते हैं कि एफ़-टी-आई-आई से अदाकारी की डिग्री हासिल करने के बाद जब उनकी मुलाक़ात दिलीप साहब से हुई, तो उन्होंने दिलीप साहब से पूछा, “दिलीप साहब अच्छी एक्टिंग का राज़ क्या है ?” दिलीप साहब ने उन्हें एक बेहद सादा सा जवाब दिया था, “शेर ओ शायरी”|

Daagh Dehlvi

शायरी से सम्बंधित ये ज़रूरी बातें सब को जानना चाहिए

मिर्ज़ा दाग़ देहलवी कहते हैं कि आगे मैं आपको जो भी बताने-समझाने जा रहा हूँ उन तमाम बातों को ग़ौर से सुन लें क्यों कि इन सब बातों को जाने-समझे बग़ैर आप अच्छे शे’र नहीं कह पाएँगे। आपका बयान और ज़बान यूँही सी रहेगी उसमें कोई ख़ूब-सूरती, नया-पन और तख़्लीक़ी सलाहियत पैदा नहीं हो सकेगी।

मैं एक औरत-दुश्मन शायर रहा हूँ

हम मिर्ज़ा ग़ालिब की नसीहत पर अमल करते हुए भी अदब के मैदान में ख़ुद को बड़ा शायर बनाना चाहते थे कि ‘मिस्री की मक्खी बनो, शहद की मक्खी नहीं बनो’। मगर हमने ग़ौर नहीं किया कि ये जुमला किस तरह औरत दुश्मनी की रिवायत का बीज हमारे ज़हन में बो रहा है। हमें लगा कि अदब में बेहतरीन क़िस्म का शायर वही होता है, जो बदन की शायरी करता हो।

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