Shariq Kaifi

मामूली चीज़ों को ग़ैर-मामूली बना देने वाला शाइर

अगरचे ये शाइरी क्लासिकी उर्दू शाइरी के रिवायती साँचे से बहुत मेल खाती हुई नज़र नहीं आती, लेकिन ये हम-अस्र इंसानी तज्रबात और नफ़्सियात की गहरी तहों को खंगालने में रिवायत और जिद्दत के हर टूल के सहारे से अपना काम करती है। उनकी ग़ज़ल महज़ तख़लीक़ी सलाहियतों के इज़हार का अमल नहीं बल्कि किसी नादीदा-ओ-नायाब नुक्ते की तलाश, समाजी हक़ीक़तों के बयान और इंसानी वुजूद की पेचीदा तहों को बे-नक़ाब करने का ज़रीआ है।

Sajida Zaidi and Faiz Ahmad Faiz

फ़ैज़ की जलाई तीली से सिगरेट सुलगाने वाली ख़ातून

बीते दिनों सोशल मीडिया पर घूम रही एक तस्वीर ने उन तमाम लोगों को परेशानी में डाल दिया था जो फ़ैज़ के चेहरे से तो वाक़िफ़ थे लेकिन फ़ैज़ के साथ तस्वीर में मौजूद उस स्त्री को नहीं पहचान पा रहे थे जो ग़ालिबन किसी मुशायरे के स्टेज पर बैठी फ़ैज़ की जलाई तीली से सिगरेट सुलगा रही है।

Phir Chhidi Baat Phoolon Ki

फिर छिड़ी बात फूलों की

उर्दू शायरी में फूलों का ख़ास मक़ाम रहा है, दर अस्ल फूल हर ज़बान के अदब में अपना ख़ास मक़ाम रखते हैं। जैसे एक फूल होता है जिसे बर्ड ऑफ़ पैराडाइज़ कहते हैं, इसी फूल को क्रेन फ़्लावर यानी सारस फूल भी कहते हैं, वज्ह बनावट से ज़ाहिर है। अब फ़र्ज़ कीजिये कि इस फूल… continue reading

Hasrat Mohani

स्वतंत्रता आंदोलन: जब दुबले-पतले हसरत जेल में चक्की पीसने पर लगा दिए गए

आज़ाद मुलक के अपने ख़्वाब के लिए हसरत मोहानी ने बेशुमार मुसीबतें और मुश्किलें बर्दाश्त कीं, जिस्मानी यातनायें झेलीं और ज़िंदगी के कई बरस जेल में गुज़ारे। उनका दिया हुआ नारा ‘इन्क़िलाब ज़िंदाबाद’ अंग्रेज़ी हुकूमत के ख़िलाफ़ संघर्ष का प्रतीक बना। हसरत आज़ाद मुल्क में सविधान सभा के सदस्य भी रहे।

Mohammed Rafi

मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ – दुनिया की पैदाइश का नग़्मा!

हमारे बहुत से निहायत संजीदा और गंभीर अदब के आसमान पर फ़ाएज़ अदबी नक़्क़ाद मेरी इस बात पर यक़ीनन नाक भौं सुकेड़ेंगे कि मेरे अदबी शऊर और शेरी जमालियात की तश्कील और परवरिश में मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ ने माँ की कोख जैसा किरदार अदा किया है। 1960 की दहाई के अवाइल में जब मेरी… continue reading

Riyaz Khairabadi

वो शायर जिसने कभी शराब नहीं पी लेकिन सारी ज़िंदगी शराब पर शेर कहता रहा

रियाज़ ख़ैराबादी के तआरुफ़ में सबसे ज़ियादा कही और सुनी जाने वाली बात ये है कि उन्होंने कभी शराब नहीं पी लेकिन शराब पर सबसे ज़ियादा और सबसे अच्छे शेर कहे। पहली बात पर यक़ीन के साथ कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन दूसरी बात पूरी तरह दुरुस्त है। उर्दू के साहित्यिक इतिहास में रियाज़… continue reading

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